विश्वविद्यालय को क्या बहुरास्ट्रीय कंपनी होना चाहिए. शिक्षा संस्थान में पसरते हुए गैर जवाबदेही बाले माहौल में यह बहस शुरु हो चुका है .
कृपापात्र लोगों की काहिली और संष्ठानो से उपजे भरष्ट आचरणों ने एक ऐसे समय का निर्माण किया है जहाँ सही और सरल लोगों के लिए कोई जगह नहीं बची है .
यह खबर गर्म है की ऐसे सही और सरल लोगों को काहिल लोगों द्वारा परेशां करने की दुरभिसंधि रची जा रही है.
बहुत जल्द ही उसके परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
समय पर काम को खतम करने बाले लोग मुर्ख होगें और परेशां होगें.वे सता की कुर्सी के इर्द - गिर्द , रहने वाले चापलूस के सामने निहायत ही बौने और बेकार साबित होगें .
आएये चापलूसी , सत्ता की दलाली करने बाले के विरुद्ध एक जनमत तैयार करें.
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